Ranjit Nimbalkar Sir Murder: 37 लाख का बैल, Gaurav Kakde ने किया खून, Gautam Kakde फरार !
कहानी शुरू होती है एक साल पहले जभी Ranjit Nimbalkar Sir ने Gautam Kakde इनसे सरजा नामक बैल की खरेदी की थी। वैसे तो Ranjit Nimbalkar Sir और Gautam Kakde ये दोनों ही महाराष्ट्र में होने वाली बैलगाड़ी प्रतियोगिता में के मशहूर नाम है, ये दोनों व्यक्तिओं के पास बैलगाड़ी प्रतियोगिता में लगातार जीतने वाले बैल हैं। सरजा बैल भी हर बार प्रतियोगिता जीतता आ रहा था इस वजह से Ranjit Nimbalkar Sir ने Gautam Kakde जो की सरजा बैल के मालिक थे उनसे ये बैल 61 लाख रूपये में ख़रीदा था।
Ranjit Nimbalkar Sir की हत्या क्यों हुई ?
निंबुत, फलटण :- इसी हफ्ते Ranjit Nimbalkar Sir ने अपना सुन्दर बैल जो की महाराष्ट्र की बैलगाड़ी प्रतियोगिता में अपना नाम बना चूका था उसको Gautam Kakde इन्हे बेचने का निर्णय लिया। Ranjit Nimbalkar Sir की पत्नी ने दर्ज की FIR के मुताबिक ये सौदा 37 लाख रुपयों में तय किया गया था। कुछ दिनों पहले Gautam Kakde इन्होने ये Ranjit Nimbalkar Sir से ख़रीदे हुए सुन्दर बैल को अपने घर लाया। और उसके बदले Ranjit Nimbalkar Sir को 5 लाख रुपये दिए। कल रात जब Ranjit Nimbalkar Sir अपने बाकी ३२ लाख रूपये लेने Gautam Kakde के घर निंबुत फलटण गए तब इसी व्यवहार के चलते Ranjit Nimbalkar Sir, Gautam Kakde और उनके भाई Gaurav Kakde इनके बीच मतभेद हुए। इन्ही मतभेदों का रूपांतर झगडे में हुआ और फिर इसी के दौरान गुस्से में Gautam Kakde के भाई Gaurav Kakde ने Ranjit Nimbalkar Sir के ऊपर गोलियां चलायीं। कल रात उन्हें बारामती के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया उनकी प्रकृति नाजुक होने के कारण उन्हें रात को शस्त्रक्रिया के लिए पुणे के रूबी हॉल क्लिनिक में लाया गया। उनपर शस्त्रक्रिया भी हुई लेकिन इसी दौरान रात 2.30 बजे उनकी मौत हो गयी।
कौन थे Ranjit Nimbalkar Sir ?
फलटण-जिला सतारा के रहने वाले Ranjit Nimbalkar Sir ये एक आर्मीऔर पुलिस भर्ती का प्रशिक्षण देने वाली ज्ञानज्योति कर्रिएर अकादमी चलते थे। कहा जाता हैं की पिछले नौ सालों से वह ये अकादमि चला रहे थे। उनके इस अकादमी से कई आर्मी जवान और पुलिस अफसर तैयार हुए। उनके गाओंवालो के द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार वह एक बहुत ही अच्छे इंसान थे। वह हमेशा सच बोलते थे और इसी के चलते उनकी कई लोगों के साथ अनबन भी होती रहती थी। पिछले कुछ सालों से बैलगाड़ी प्रतियोगिता शुरू होने के बाद वह इस क्षेत्र में आ गए थे। उनके पास रहे बैलों ने कई सारी प्रतियोगिताएं जीती थी और इसी के चलते उनका नाम बैलगाड़ी क्षेत्र में बड़ा हुआ।
कौन थे Gautam Kakde और Gaurav Kakde ?
सातारा जिले के फलटण में रहने वाले Gautam Kakde और Gaurav Kakde इनके पिता सोमेश्वर सहकारी शुगर फैक्टरी के संचालक रहे हैं। Gautam Kakde और Gaurav Kakde ये दोनों भी यहाँ की स्थानिक राजनीति में सक्रीय हैं। राजनीति में सक्रीय होने के साथ ही Gautam Kakde इन्हे बैलगाड़ी प्रतियोगिता का भी शौंक था। उनके पास बैलगाड़ी प्रतियोगिता में मशहूर लक्ष्या, सरज्या, डमरू इत्यादि बैल हैं। उनके बैल इन प्रतियोगिता में अक्सर जीतते आये हैं, जिसके चलते उनका इस क्षेत्र में बहुत नाम भी हुआ।
क्यूँ होती हैं इन बैलों की इतनी ज्यादा कीमत ?
महाराष्ट्र में बैलगाड़ी प्रतियोगिता इस खेल को बहुत ही सम्मान प्राप्त हैं। ये प्रतियोगिता जीतने वाले विजेताओं को लाखों रुपए कीमत के इनाम दिए जाते हैं। इन प्रतियोगिता में दौड़े जाने वाले बैल भी ख़ास किस्म के होते हैं जिनपर उनके मालिक जान छिड़कते हैं। इन बैलों के मालिकों के द्वारा उनका बहुत अच्छे से ख्याल रखा जाता हैं। इनके खाने-पिने और कसरत को लेकर इन बैलों पर विशेष रूप से ध्यान दया जाता हैं। अगर कोई बैल एक प्रतियोगिता जीत जाता हैं तो उसकी कीमत में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होती हैं। इन बैलों की कीमत 70 से 80 लाख तक भी जाती हैं।